शाम है बुझी बुझी वक्त है खफा खफा,
कुछ हंसीं यादें हैं कुछ भरी सी आँखें हैं,
कह रही है मेरी ये तरसती नजर,
अब तो आ जाइये अब न तड़पाइये।
हम ठहर भी जायेंगे राह-ए-जिंदगी में
तुम जो पास आने का इशारा करो,
मुँह को फेरे हुए मेरे तकदीर सी,
यूँ न चले जाइये अब तो आ जाइये।
shayari
कुछ हंसीं यादें हैं कुछ भरी सी आँखें हैं,
कह रही है मेरी ये तरसती नजर,
अब तो आ जाइये अब न तड़पाइये।
हम ठहर भी जायेंगे राह-ए-जिंदगी में
तुम जो पास आने का इशारा करो,
मुँह को फेरे हुए मेरे तकदीर सी,
यूँ न चले जाइये अब तो आ जाइये।
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